सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

Depreciation Accounting in Tally


नमस्कार दोस्तों ! आज के आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं फिक्स एसेट्स के मूल्य में होने वाली क्रमिक कमी  के बारे में , जिसे  हम मूल्य हास के नाम से जानते हैं ! जैसे ही हमारे सामने डेप्रिसिएशन अर्थात् मूल्यह्रास शब्द आता है तो हमारे दिमाग में सीधा सा उसका यही अर्थ निकलता है कि  व्यापार की मूर्त स्थाई संपत्तियों की कीमत में  समय के साथ जो कमी आती है उसे हम मूल्यह्रास (Depreciation) कहते हैं !लेकिन दोस्तों वास्तव में हम अपने व्यापार में मूल्य हास कब लगाते हैं क्यों लगाते हैं उसके पीछे क्या कारण है और मूल्य हाथ लगाने की कौन कौन सी विधियां लेखांकन में प्रयोग में लाई जाती है आज इन्हीं सभी बातों की हम अपने आर्टिकल में चर्चा करने वाले हैं साथ ही साथ मूल्य हास को हम व्यवहारिक जीवन में अपनी प्रैक्टिकल लाइफ में किस तरह से अप्लाई करेंगे और टैली एकाउंटिंग  सॉफ्टवेयर में किस तरह से अकाउंटिंग करेंगे, आइए शुरुआत करते हैं!

मूल्यह्रास का अर्थ-(Meaning of Depreciation)

व्यापार की स्थाई संपत्तियों में किसी भी कारण से होने वाली क्रमिक या धीरे-धीरे और स्थाई कमी को मूल्य हास कहा जाता है! व्यापार में कई प्रकार की स्थाई संपत्तियां प्रयोग में ली जाती हैं जैसे प्लांट और मशीनरी फर्नीचर बिल्डिंग आदि और इन संपत्तियों  का जैसे-जैसे हम प्रयोग करते हैं वैसे वैसे इन के मूल्य में कमी होती जाती है आइए जानते हैं कि मूल्य आज के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं

मूल्यहास के प्रमुख कारण- (Causes of Depreciation)

  1. संपत्तियों का निरंतर प्रयोग
  2.  पूर्व निर्धारित समय व्यतीत होने पर
  3.  संपत्ति की समाप्ति
  4.  बाजार मूल्य में कमी
  5.  अप्रचलित या अनुपयोगी हो जाना
  6.  प्राकृतिक प्रभाव

डेप्रिसिएशन क्यों लगाया जाता है?
(Need for Charging Depreciation)


व्यापार में लाभ हानि की सही सही स्थिति का पता करने के लिए डेप्रिसिएशन लगाया जाता है क्योंकि आय तथा व्यय योगी मिलान की अवधारणा हमें यह बताती है कि किसी लिखावट से संबंधित आय में से उस लेखा वर्ष से संबंधित विवाह को घटाकर और लेखा वर्ष का सही लाभ हानि ज्ञात किया जाना चाहिए यदि व्यवसाय में किए गए व्यय का लाभ एक से अधिक लिखा वर्षों में मिलता हो तो निरंतरता की अवधारणा के अनुसार उस वह को उतनी अवधि में बांट दिया जाता है कितने समय तक उसमें का लाभ मिलना अनुमानित है इसी को ध्यान में रखते हुए हम अपने स्थाई संपत्तियों पर डेफिनेशन चार्ज करते हैं!

डेप्रिसिएशन के लेखांकन की विधियां-(Method of Depreciation Accounting)

 डेप्रिसिएशन की राशि से संबंधित   स्थाई संपत्ति के खाते को अपलिखित करना-

इस विधि में स्थाई संपत्ति के मूल्य में से डिप्रेशन के मूल्य को प्रतिवर्ष चार्ज करते हुए घटा दिया जाता है इसके अनुसार प्रत्येक वर्ष का डेफिनेशन लाभ हानि खाते में डेबिट पक्ष में लिख दिया जाता है और बैलेंस शीट में  संबंधित स्थाई संपत्ति की राशि में से डिप्रेशन की राशि को घटाकर लिखा जाता है

 इस पद्धति मैं निम्नलिखित जनरल एंट्रीज की जाती है-
1.    डेप्रिसिएशन लगाने पर
Depreciation A/c Dr.
      To Asset A/c

2.    डेप्रिसिएशन का प्रवाधान करना-

इस पद्धति में डेकोरेशन की राशि से संबंधित स्थाई संपत्ति के खाते को कम नहीं किया जाता है स्थाई संपत्ति के खाते को हमेशा प्रारंभिक लागत पर ही दिखाते रहते हैं यह ली जो भी डिप्रेशन की राशि होती है उसको एक फ्रेंड बनाकर प्रोविजन फॉर डेप्रिसिएशन अकाउंट में जमा करते रहते हैं इस प्रकार बैलेंस शीट में स्थाई संपत्ति खाता लागत मूल्य पर Asset साइड में और प्रोविजन फॉर डेफिनेशन अकाउंट बैलेंस शीट की लाइबिलिटी साइड में दिखाया जाता है
इस विधि में निम्नलिखित जनरल एंट्रीज की जाती हैं-
Depreciation A/c Dr.
      To Provision for Depreciation





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