सोमवार, 6 मार्च 2017

Learn TALLY Basic Accounting Rules |What is Accounting | How to pass journal entry

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एकाउंटिंग क्या है?

दोस्तों, आप और हम सब यह चाहते हैं कि हमें एकाउंटिंग अच्छी तरह से आ जाए और हम अपनी स्वयं की और अपने व्यापार की एकाउंटिंग हिसाब-किताब बहुत अच्छे से रख सकें तो दोस्तों हम एकाउंटिंग या तो मैनुअली यानी हाथ से रख सकते हैं या फिर कंप्यूटर पर रख सकते हैं और जब बात आती है कंप्यूटर पर एकाउंटिंग करने की तो हमारे दिमाग में एक ही सॉफ्टवेयर का नाम आता है और वह है Tally लेकिन टेली को सीखने से पहले हमें एकाउंटिंग का पूरा प्रोसेस अच्छी तरह से सीखना होगा तो आइए आज हम शुरुआत करते हैं एकाउंट्स की सीखने की!


पहले लिख पीछे दे,

   भूल पड़े कागज से ले
हम सब की मेमोरी की एक सीमा होती है एक लिमिट होती है इसीलिए हम सब ने एक कहावत सुनी ही होगी कि यह कहावत प्राचीन काल से चली आ रही है जिसमें यह बताया गया है कि किसी भी ट्रांजेक्शन को करने से पहले हमें उसकी रसीद उसका प्रमाणक यानी उस का बिल लेना चाहिए और उसके आधार पर ही उसका हिसाब किताब करना चाहिए ताकि भविष्य में यदि उस ट्रांजैक्शन से संबंधित कोई भी विवाद होता है तो हम उस रसीद के माध्यम से उस विवाद को समाप्त कर सकते हैं एकाउंटिंग का पहला आधार ही यही है कि पहले लिख पीछे दे भूल पड़े कागज से ले, दोस्तों एकाउंटिंग यानी लेखांकन बिजनेस के लेनदेनों को पहचानने मां अपने लिखने और संप्रेषण की प्रक्रिया है यानी अकाउंट के माध्यम से आप अपने व्यापार में होने वाले ट्रांजैक्शंस यानी शोधों को पहचान सकते हैं उन्हें मेजर कर सकते हैं और उन्हें कम्युनिकेट भी कर सकते हैं!

एकाउंटिंग एक ऐसा प्रोसेस है जो रेगुलर चलता रहता है आपने सुना ही होगा की एकाउंटिंग की स्पेलिंग में लास्ट में आईएनजी लगा हुआ है जो कि यह रिप्रेजेंट करता है की यह कंटीन्यूअस चलने वाला प्रोसेस है जब भी हम अपने व्यापार में दुकान ऑफिस फैक्ट्री को शाम को बंद करते हैं तो हम लोग कहते हैं की मंगल कर रहे हैं या दुकान बढ़ा रहे हैं यह नहीं बोलते कि दुकान बंद कर रहे हैं क्योंकि दोस्तों कभी भी व्यापार बंद नहीं होता यह तो रेगुलर चलने वाला होता है कि किस तरह से जब हमारा व्यापार कभी बंद नहीं होता तो उसका हिसाब किताब उसकी काउंटिंग भी कभी बंद नहीं होती यह भी रेगुलर चलने वाला पसंद है अब एकाउंटिंग को सीखने के लिए हमें एकाउंट्स यानी खातों के बारे में समझना होगा जाना होगा तो चलिए शुरुआत करते हैं की एकाउंटिंग में कितने प्रकार के खाते होते हैं और खातों को समझने से पहले मैं इनमें यूज होने वाले दो टाइम्स के बारे में आपको बताना चाहता हूं फर्स्ट डेबिट डेबिट से क्या तात्पर्य किसी के नाम लिखने से होता है यानी हमने यदि किसी को माल उधार बेचा है तो हम वह राशि किसी के नाम ही लिख देते हैं यहां किसी के नाम पर वह राशि लिख देना ही डेबिट कहलाता है इसी तरह से दूसरी टाइम आती है क्रेडिट क्रेडिट से तात्पर्य जमा करने से होता है यानी यदि हमने किसी को उधार कोई माल भेजा है और वह हमें वापस पैसा देता है तो हम उस व्यक्ति के नाम से उसके खाते में वह राशि क्रेडिट कर देते हैं यानी जमा कर देते हैं!

Terms Used in Accounting:-

Dr.(Debit)- डेबिट से तात्पर्य किसी के नाम लिखने से होता है यानी हमने यदि किसी को माल उधार बेचा है तो हम वह राशि किसी के नाम ही लिख देते हैं यहां किसी के नाम पर वह राशि लिख देना ही डेबिट कहलाता है!
Cr.(Credit):- क्रेडिट से तात्पर्य जमा करने से होता है यानी यदि हमने किसी को उधार कोई माल भेजा है और वह हमें वापस पैसा देता है तो हम उस व्यक्ति के नाम से उसके खाते में वह राशि क्रेडिट कर देते हैं यानी जमा कर देते हैं!

Assets:- बिजनेस की जो भी संपत्तियां होती हैं उन्हें एसेट्स कहा जाता है वास्तव में दोस्तों यह एसेट्स दो प्रकार की होती हैं एकल आती हैं फिक्स अ सेट यानी स्थाई संपत्तियां ऐसी संपत्तियां जो हम बेचने के लिए नहीं खरीदते हैं और जिनका जीवनकाल दीर्घ होता है यानी जोर लॉन्ग लाइफ चलती हैं जैसे प्लांट मशीनरी बिल्डिंग कार स्कूटर फर्नीचर आदि इसी प्रकार से दूसरी प्रकार की संपत्ति होती हैं उन्हें करंट एसेट्स यानी चालू संपत्तियां कहा जाता है इन्हें अवधी यानी Short के लिए रखा जाता है और इन संपत्तियों की मूल्य में बार-बार परिवर्तन होता रहता है जैसे जो आपसे पैसा मांगते हैं या जिनसे हम पैसा मांगते हैं उनमें बार-बार चेंज होते रहते हैं यह सभी करंट assets हैं!
Liabilities- व्यापार में हमें कई बार दूसरों से उधार लेना होता है और इस उधार को व्यापार के माध्यम से चुकाना भी पड़ता है इस प्रकार से व्यापार के कई दायित्व बन जाते हैं जैसे बैंक लोन फाइनेंस कंपनी से लोन या ग्राहकों से लिया गया टैक्स आदि क्योंकि इन सभी को बिजनेस को चुकाना होता है इसलिए इन्हें लाइबिलिटी कहा जाता है

Capital: व्यापार का स्वामी जब भी व्यापार में पैसा लगाता है या कोई संपत्ति लगाता है तो उसे पूंजी या कैपिटल कहा जाता है
Expense: व्यापार में होने वाले सभी प्रकार के खर्चे एक्सपेंसेस कल आते हैं जैसे लाइट बिल टेलीफोन बिल पेट्रोल बिल आदि!
Goods: हम जिस चीज का व्यापार करते हैं या जिस वस्तु को हम व्यापार में खरीदते और बेचते हैं उस वस्तु को गुड्स या माल कहा जाता है
Debtors:  (देनदार) व्यापार में जिन व्यक्तियों को हम उधार माल बेचते हैं या जिनसे हम पैसा मांगते हैं उन्हें देनदार कहा जाता है
Creditors:लेनदार-व्यापार में हम जिन व्यक्तियों से उधार माल खरीदते हैं या जो हमसे पैसा मांगते हैं उन्हें लेनदार कहा जाता है
Types of Accounts:
Personal Account: (व्यक्तिगत खाते) - ऐसे सभी खाते जो किसी व्यक्ति संस्था फ्रॉम बैंक या कंपनी से संबंधित होते हैं उन्हें हम पर्सनल अकाउंट या व्यक्तिगत खातों की श्रेणी में रखते हैं!
Real Account: (वस्तुगत खाते) हैं रियल अकाउंट ऐसे सभी खाते जो वस्तुओं से संबंधित होते हैं ऐसी वस्तुएं जिन्हें हम देख सकते हैं सकते हैं महसूस कर सकते हैं जैसे परचेस अकाउंट यानी माल खाता कैश अकाउंट, फर्नीचर अकाउंट, बिल्डिंग अकाउंट, कंप्यूटर अकाउंट आदि!
Nominal Account: (अवास्तविक खाते) इस केटेगरी में व्यापार के समस्त खर्चो और हानियों लाभ और आय से संबंधित खातों को रखा जाता है ऐसे खाते जिन्हें आप अपनी आंखो से देख तो नहीं सकते लेकिन केवल महसूस कर सकते हैं जैसे मजदूरी सैलरी कमीशन, ब्याज !

दोस्तों आप ने देखा कि खातों के तीन प्रकार होते हैं ! इन तीनों के तीन तीन नियम होते हैं चलिए इन तीनों के 6 नियमों को अच्छी तरह से समझते हैं
1. Personal A/C-
1. व्यापार में वस्तु पाने वाले व्यक्ति के खाते को (Dr.)डेबिट कीजिए
2. व्यापार में वस्तु देने वाले व्यक्ति के खाते को (Cr.)क्रेडिट कीजिए

2. Real A/C-
1. व्यापार में आने वाली समस्त वस्तुओं के खातों को (Dr.) डेबिट कीजिए
2. व्यापार से जाने वाली समस्त वस्तुओं के खातों को (Cr.) क्रेडिट कीजिए

3. Nominal A/C-
1. व्यापार के समस्त खर्चो वह हानियों को (Dr.) डेबिट कीजिए 
2. व्यापार के समस्त लाभ व आय से संबंधित खातों को (Cr.) क्रेडिट कीजिए

Example Entries for Practice

Ram Started Business with Cash Rs. 80,000/-
Purchase Goods 5,000/-

Purchase Goods from Suresh Rs.10,000/-
Goods Return to Suresh Rs.500 /-
Paid to Suresh Rs. 5,000/-
Goods Sold Rs. 15,000/-
Goods Sold to Ramesh Rs. 5,000/-
Goods Return by Ramesh Rs. 2,000/-
Amount Received form Ramesh Rs. 3,000/-
Cash Deposit in Bank Rs.5,000/-
Cash Withdraw form Bank Rs. 2,000/-
Paid to Suresh By Cheque Rs. 4,500/-
Cash Rs. 5,00/- withdraw for Personal Use
Goods Rs. 1,000/- withdraw for Personal Use
Purchase Goods Cash form Ranveer Kapoor Rs. 2,000/-
Salary Paid Rs. 2,500/-
Paid Shop Rent Rs. 1,500/-
Purchase Furniture Rs. 2,000/-
Purchase Computer Rs.10,000/-
Paid Intrest Rs. 250/-
Received Commission Rs.250/-
Purchase Stationery Rs.200/-
Paid Wages Rs.300/-
Paid Light Bill Rs.400/-
Paid Power Bill Rs.500/-
Purchase Machinery from ABC Co. Rs.6,000/-

Purchase Share Rs.10,000/-